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divine path towards
Supreme Truth
हमारें आदर्श (Our Ideals)
भगवान् श्रीवेदव्यास
भगवान् श्रीशंकराचार्य
पूज्यपाद श्रीपण्डितजी

व्यासो नारायण स्वयम् ।
भगवान् वेदव्यासजी साक्षात् भगवान् नारायण ही हैं । “व्यासोउच्छिष्टं जगत्सर्वम्”, आज विश्वमें जो भी साहित्य है वह सब भगवान् वेदव्यासजीका ही उच्छिष्ट(वमन) अर्थात् उन्हींके द्वारा प्रदप्त हैं । ब्रह्मसूत्र, व्यासस्मृति, अष्टादश(१८) पुराण एवं महाभारतरूपी महान इतिहासग्रंथके साथ अन्य बहुतसी दिव्य रचनाको प्रदान करनेवाले भगवान् वेदव्यासजीके विषय में जितना कहा जाये वो कम होगा ।

शंभोर्मूर्तिश्चरति भुवने शंकराचार्यरूपा ।
अर्थात् करुणा-वरुणालय साक्षात् भगवान् शंकर ही भगवान् शंकराचार्यके रूपमें पृथ्वी पर विचरण करते हैं। साधकको चाहिये कि इस बातको ध्यानमें रखते हुए उनकी अर्थात् भगवान् आद्यशंकराचार्यकी शरण ग्रहण करे जिसके फलस्वरूप परम लक्ष्यक ी ओर शीघ्रतासे गति हो सकती है। क्योंकि जीव, जगत, और जगतके सर्जनहारके विषयमें जगतके सर्जनहारके अतिरिक्त और कौन होगा जो हमे सत्य बता सके?!

वन्दे बोधमयं नित्यं गुरुंशंकररूपिणम् ।
ब्रह्मलीन पूज्यपाद श्रीचन्द्रशेखर पण्डितजी महाराज का संक्षिप्त परिचय श्रीसनातानवैदिक धर्मानुरागी ट्रस्ट के संस्थापक एवं स्वामी ब्रह्मलीन पूज्यपाद श्रीचन्द्रशेखर पण्डितजी महाराज का परिचय देना दु:सहास है | न शब्द से, न चित्र से, न शब्दचित्र से आपका परिचय सम्भव है | आपके परिचय का एक मात्र उपाय आपका दर्शन, श्रवण और सान्निध्य ही है |